भारत ने आखिरकार मलेरिया की दवा हाईड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन और एक अन्य महत्वपूर्ण दवा पैरासीटामॉल के भी अमेरिका को निर्यात की मंजूरी दे दी है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने खुद पीएम नरेंद्र मोदी को फोन कर क्लोरोक्वीन के निर्यात को खोलने का अनुरोध किया था. आइए जानते हैं कि क्या है पूरा मामला.
हाईड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन और पैरासीटामॉल का अमेरिका को काफी बेसब्री से इंतजार है. हाईड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन का इस्तेमाल मलेरिया के अलावा आर्थराइटिस में भी होता है, जबकि पैरासीटामॉल का इस्तेमाल बुखार और दर्द के इलाज में किया जाता है. लेकिन हाईड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन को कोरोना संक्रमण के इलाज में भी काफी कारगर माना जा रहा है. इसके साथ ही, अब कुल 14 दवाओं के निर्यात को मंजूरी दी गई है.
अमेरिका में कोरोना वायरस के संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, जिसकी वजह से वह ऐसी दवाओं के आयात को लेकर अधीर है. अमेरिका में कोरोना वायरस के संक्रमण से 10 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है और वहां 3.6 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हैं.
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राष्ट्रपति ट्रंप ने फोन पर PM मोदी से की बात
इस रविवार को कोरोना वायरस की स्थिति पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच बातचीत हुई थी. इस बातचीत के दौरान ट्रंप ने क्लोरोक्वीन जैसी जरूरी दवाओं के निर्यात पर रोक का मसला उठाया और पीएम मोदी से यह अनुरोध किया कि वह इस दवा की आपूर्ति अमेरिका में करने की इजाजत दें.
क्या धमकी दी ट्रंप ने? क्या कहा था?
पीएम मोदी से अपनी बातचीत के बारे में ट्रंप ने सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था, 'मैंने पीएम मोदी से रविवार सुबह बात की है. भारत से हमारे बहुत अच्छे संबंध हैं.'
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क्लोरोक्वीन के निर्यात पर रोक के बारे में एक सवाल पर ट्रंप ने कहा, 'मुझे नहीं लगता कि यह उनका (पीएम मोदी का) निर्णय होगा. वर्षों तक भारत व्यापार के मामले में अमेरिका का फायदा लेता रहा है. मैंने उनसे बातचीत में कहा कि यदि आप हमारी सप्लाई को आने की इजाजत दें तो यह सराहनीय होगा. वह दवाओं के आने की इजाजत नहीं देते तो भी कोई बात नहीं, लेकिन निश्चित रूप से इसके बदले में हम भी कुछ कर सकते हैं. क्या हमें ऐसा नहीं करना चाहिए?'